राजनीति में फ़िल्मी कलाकार और क्रिकेटरों की उपस्थिति और भागीदारी
17वीं लोक सभा का गठन 2019 मे पाँच वर्षों के लिये हुआ था और 18वीं लोकसभा का चयन 2024 मे अप्रैल या मई माह तक हो जाने की संभावना है। 17वीं लोक सभा में चूने गये सांसदों मे हर बार की तरह कुछ लोग ऐसे भी थे जो फ़िल्म या क्रिकेट की दुनिया के जानें माने चेहरे थे। इनमें से कुछ चर्चित नाम थे: हेमा मालिनी (भाजपा), किरण खेर (भाजपा), मिमी चक्रवर्ती (तृणमूल कांग्रेस), नूसरत जहां (तृणमूल कांग्रेस), दीपक अधिकारी (तृणमूल कांग्रेस), सन्नी देओल (भाजपा), गौतम गंभीर (भाजपा), रवि किशन (भाजपा), मनोज तिवारी (भाजपा) आदि। इसी तरह से राज्य सभा में कुछ चर्चित नाम हैं: हरभजन सिंह (आप), जया बच्चन (सपा) आदि।
पूर्व लोकसभा सेक्रेटरी श्री पी डी टी अचारी के अनुसार, संसद के हर एक मिनट को चलाने का खर्चा करीब 2.5 लाख होता है जो बिल्डिंग की व्यवस्था, बिजली, पानी, भोजन, सेक्योरिटी, सासंद भत्ता, कर्मचारियों की सैलरी आदि के रूप में दिया जाता है। जनता जो ना केवल देश को चलाने के लिये कर देती है परंतु योग्य सांसदों को चुनने के लिये अपना बहुमूल्य वोट भी देती है। गणतंत्र मे यह ज़रूरी होता है की हम अपने सांसदों के बारें में जानकारी रखें की संसद में चुनने के बाद कितनी ज़िम्मेदारी के साथ ना केवल संसद में उपस्थित रहते हैं अपितु सभी सरकारी योजनाओं और बिलों मे भागीदारी करते हुये जनता से जूड़े सभी नीतिगत बातों को डीबेट, प्रश्नोत्तर या बिल के माध्यम से उठाते है।
यदि हम चुने गये सांसदों में आमतौर पर फ़िल्मी कलाकारों और क्रिकेटरों के उपस्थिति और भागीदारी देखें तो पायेंगे की कुछेक अपवादों को छोड़कर ज़्यादातर सेलिब्रिटी सासंद की उपस्थिति संसद में या तो नगण्य रहती है और या तो उनकी भागीदारी उतनी प्रभावी नहीं होती है। उदाहरण के तौर पर 17वीं लोकसभा में पूरे पाँच साल के कार्यकाल में 274 दिन विभिन्न सेशन की बैठक हुयी थी और औसतन उपस्थिति करीब 79% रही। 17व्ं लोकसभा की बैठकों मे सन्नी देओल (पूरा नाम - अजय सिंह धर्मेन्द्र देओल) की उपस्थिति 17%, दीपक अधिकारी की उपस्थिति 12%, हंसराज हंस की उपस्थिति 40%, मिमी चक्रवर्ती की उपस्थिति 21%, नुसरत जहां की उपस्थिति 23%, हेमा मालिनी की उपस्थिति करीब 50% और किरण अनुपम खेर की उपस्थिति करीब 48% तक ही रही ।
ऐसा नहीं की यह इस लोकसभा में पहली बार हुआ है। तृणमूल कांग्रेस के दीपक अधिकारी, जो की मूलतः बंगाली सिनेमा के एक्टर है, की 16वीं लोकसभा में भी उपस्थिति कुल 11% ही थी और 17वी लोकसभा में उपस्थिति 12% ही रही। ऐसे मे प्रश्न उठता है की राजनैतिक पार्टियाँ ऐसे सेलेब्रिटीज़ को क्यों लोकसभा के लिये टिकट देती है जब इनका ज़्यादा समय अपने मूल प्रोफेशनल में ही व्यतीत होता है और सासंद के कामकाजों में उपस्थित लगभग नगण्य या औसत से बहुत कम। ऐसी बात नहीं है की यह कोई नयी बात है 17वीं लोकसभा के लिये । इसके पूर्व भी ऐसा होता आया है दोनों संसदों मे जिनमें प्रमुख नाम हैंः अमिताभ बच्चन, सचिन तेंदुलकर, रेखा, गोविन्दा , धर्मेन्द्र, नवजोत सिंह सिंधु आदि ।
राजनैतिक पार्टियों को इस बात का ध्यान रखना चाहिये की कोई चर्चित चेहरा किसी लोकसभा सीट से उन्हें जीत दो दिला सकता है परंतु देश के लिये जो भी सेलिब्रिटी सांसद, संसद और अपने लोकसभा क्षेत्र में अनुपस्थिति रहते है, किसी भी जनतांत्रिक देश के लिये हितकर नहीं है।
Data Source:
1. https://sansad.in/ls
2. https://prsindia.org/
3.https://www.thehindu.com/opinion/op-ed/observing-the-celebrities-in-parliament/article67231559.ece
4.https://www.financialexpress.com/india-news/budget-session-2023-parliament-logjam-cost-nation-over-rs-10-crore-in-six-days/3017854/
Author: Dr. Anand Pandey, "शहरी मनई"
FARF (www.farf.in); a vision of rural development
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